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NCC के वो 12 दिन

कॉलेज का प्रथम वर्ष था/ पढाई ठीक ठाक चल रही थी/ फिर उत्सुकतावश कॉलेज की ncc  (नेशनल कैडेट कोर्प्स) में भी शामिल हो गया. परेड हर शनिवार को होती थी (इस दिन कॉलेज बंद हुआ करता था)/ क्या परेड होती थी यार...चिल्चिली धुप में जान और जुबान दोनों ही सूख जाती थी/ लेकिन में टिका रहा (और बहुत सरे कैडेट्स के साथ)/ और फिर दिन बीतते रहे... फिर एक दिन एक 12 दिन का कैंप जाने का अवसर मिला. मैंने सोचा, 'चलो चलते हैं'/ कैंप दिल्ली मे ही था/ दिल्ली कैंट का एरिया/ कैंप पहुँचने के दुसरे ही दिन पता चला की कैंप में हमारे साथ Jesus & Marry कॉलेज की लडकियां भी आयीं हैं/ मन ख़ुशी से बाग़ बाग़ हो गया/ कसम से इतनी ख़ुशी इंसान को दो चार बार ही मिलती है...मुझे पहली बार ही मिली थी/ हा हा हा.... अरे आपको बताना ही भूल गया की इसी दोरान मेरे दो अच्छे दोस्त भी बन गए थे/ नाम तो भूल गया हूँ/ लेकिन बड़े कमीने थे/ बेहद खूबसूरत समय था वो/ दोस्तों के चक्कर में Jesus & Mary कॉलेज की लड़कियों को तो भूल ही गया/ अच्छा तो बीच में हुआ ये के लड़कियों के ground (जहाँ लडकिय परेड किया करती थीं) पर कुछ गम

शायद अब वो खुश होगा...

हर सुबह ऑफिस आते दिख जाता है.  पांच-छे साल का होगा.  थोडा काला...बाल यहाँ वहां बिखरे हुए...बदन पे गंदे फटे पुराने कपडे....और एक छोटी सी नाक जो सदाबहार नदी की तरह हमेशा बहती ही रहती है...और वो बेचारा हमेशा बार-बार अपने हाथ को उठाकर उसे साफ़ करने की कोशिश करता दिख जाता था.  नाम का कुछ मालूम नहीं. हाँ, काम जरूर करता था. कंधे पे एक बड़ा सा बोरा लेकर गूमता रहता था...यहाँ वहां से पिन्नियां उठाना...लोहा, प्लास्टिक उठाना...और फिर उसे कहीं ले जाके बेच देता होगा... जब कभी दिख जाता है, तो में मुस्कुरा देता हूँ...और वो भी... इस मुसकुराह में न मेरा कुछ जाता था और न उसका ....  पिछले कुछ दिनों से दिखा नहीं..मैंने भी ध्यान नहीं दिया...कोई अपना होता तो पूछता भी...आज शाम आते हुए कुछ लोग उसी सड़क पर खड़े दिखे जहाँ वो लड़का अक्सर नज़र आ जाता था...पास से गुजरते हुए शायद कुछ सुन सा लिया था मैंने.   ''अरे बेचारा...यहाँ वहां कबाड़ उठा लिया करता था...तीन दिन हो गए होंगे...घर से थोड़ी दूर पड़ा हुआ था...किसी ने दुष्करम कर लिया था...जब तक अस्पताल ले जाते, रस्ते में ही दम तोड़ दिया लड़के  ने...''